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अगर आप सोच सकते हैं,तो आप कर भी सकते ह
ENGLISH मुट्ठी म
CAREER COACH : काबिलियत
को साबित कीजिए जॉब इंटरव्यू म

नौकरी के लिए
चुने जाने वाले
और
साक्षात्कार में
असफल रहने
वाले
उम्मीदवारों के
बीच एक स्पष्ट
अंतर होता है। यहां तक कि वे अभ्यर्थी,
जो दस्तावेजों में समान नजर आते हैं, इंटरव्यू
में अलग दिखाई देते हैं, यह जानना जरूरी है
कि वे कौन सी कुशलताएं हैं, जो रेज्यूमे से
बाहर आपको सफल रूप से स्थापित करती हैं।
नियोक्ता दरअसल ऐसे व्यक्ति को ढूंढ़ते हैं,
जो संस्थान में फिट हो सके , काम कर सके
और परेशानियां पैदा न करें, आउटसाइडर्स
ऑन दी इनसाइड : हाउ टू क्रिएट ए विनिंग
कॅरिअर के लेखक डेविड कूपर कहते हैं। डेविड
की सलाह है कि यदि आप ये गुण नियोक्ता के
सामने दर्शा देते हैं तो नौकरी के लिए जरूर चुने
जाएंगे।
लाइकएबिलिटी फैक्टर भी बन सकता है
आधार : जब एक आवेदक में
सारी खूबियां नहीं मिल
पातीं तो नियोक्ता लाइकएबिलिटी फैक्टर के
आधार पर नियुक्ति करते हैं। यहां खरा उतरने
के लिए आपको दर्शाना होता है तकनीकी तौर
पर आप इस नौकरी में कितने कुशल साबित
होंगे। नियोक्ता को प्रभावित करने के लिए
आपको एक कदम और आगे जाना होगा।
इंटरव्यू कोच लिंडा मैटिआज के अनुसार,
लाइकएबिलिटी फैक्टर वह कारक है,
जिसकी उपस्थिति नियोक्ता को उम्मीदवार
को लेने पर मजबूर करती है। अपने आप पर
भरोसा, फोकस, दृढ़ता, साहस और
बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन
लाइकएबिलिटी फैक्टर को बढ़ाते हैं और
आपकी नौकरी को पुख्ता बनाते हैं।
अपनी खूबियां समझाइए : याहू मीडिया ग्रुप,
ड्रीम्सवर्क्स और गूगल में टैलेंट एक्वीजिशन
हेड के रूप में काम कर चुकी वेंडी डाउलटन के
अनुसार, जब मैं इंटरव्यू लेती हूं तो उन लोगों से
प्रभावित होती हूं, जो मुझे इस सवाल के
जवाब में बेहतर उदाहरण दे पाते हैं कि क्यों वे
इस नौकरी के लिए सही हैं। उदाहरण के तौर
पर पर्सनल असिस्टेंट के रूप में आवेदन करने
वाले उम्मीदवार यह बता सकते हैं कि किस
तरह वे अपने बॉस के काम को आसान करते
हैं। वे बता सकते हैं कि किस तरह उन्होंने
ट्रैवल का बिल 50 फीसदी कम
किया क्योंकि वे वेंडर को बदलने और मोलभाव
करने में कुशल थे। वे लोग जानते हैं कि वे काम
में बेहतर क्यों हैं और
नियोक्ता उन्हीं को प्राथमिकता देते हैं,
जो परिणामों को साबित करने में कुशल हों।
रुचि और सजगता दर्शाइए : एक
दूसरा उदाहरण देते हुए एनी बताती हैं, एक बार
एक हायरिंग मैनेजर ने कंप्यूटर पर कुछ
विंडो खोली। मुझे वह सॉफ्टवेयर
दिखाना चाहता था, जिस पर मुझे काम
करना था। मैं अपनी सीट से उसे देख
नहीं पा रही थी और चलकर वहां तक पहुंची।
मैनेजर ने स्क्रीन बंद की और मुझे तत्काल
नौकरी का प्रस्ताव दिया। स्पष्ट रूप से
नौकरी के अन्य किसी भी आवेदक ने कुर्सी से
उठने की जहमत नहीं उठाई। मैंने कुर्सी से
उठकर अपनी सजगता जाहिर की थी। यह
प्रक्रिया में मेरी रुचि को दर्शा रहा था।
अति आत्मविश्वास से बचिए : लक्ष्य
की स्पष्टता आपके जॉब इंटरव्यू
को सही दिशा में ले जाती है। फ्रीलांस राइटर
एनी सोफरेट अपना अनुभव बताते हुए
कहती हैं, मैंने फॉच्यरून 100 कंपनी के साथ
मिलने वाली नौकरी खो दी थी, क्योंकि मैं
इंटरव्यू के अंतिम चरण में चूक गई। पहले पांच
चरण पार करने के बाद छठे चरण में
नियोक्ता की नजर में मैंने दो गलतियां की थीं।
मैं जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वासी थी और
थकान व तनाव की वजह से मेरे प्रदर्शन में
गिरावट आई थी। ऐसी गलतियों से
बचना जरूरी है।

करियर बनाने के दस आसान टिप्स
छठी क्लास में फेल हुई थी ये लड़की,बिना कोचिंग के ही IAS में किया टॉप

छठी क्लास में फेल हुई थी ये लड़की,
बिना कोचिंग के ही IAS में किया टॉप


Rukmini IAS TOPPEER
प्राइड ऑफ चंडीगढ़. कहते है पढ़ाई के लिए
गुरू की जरूरत पड़ती है उसी के नक्शेकदम पर
चलकर शिष्य नई-नई ऊचाईयां छूटा है।
लेकिन जरूरी नहीं कि बिना गुरू के पढ़ाई ही न
हो सके। इसका उधारण है रुकमणी रियार,
जिन्होंने बिना किसी कोचिंग और गुरू के
पहली बार में ही आईएएस परीक्षा में
दूसरा स्थान हासिल किया।
चंडीगढ़ की शान रुकमणी रियार शैक्षणिक
उपलब्धियां भी हासिल कर चुकीं हैं और गोल्ड
मेडलिस्ट भी रह चुकीं हैं। लेकिन
आपको पता है रुकमणी छठी कक्षा में फेल
हो चुकी थी फिर उन्होंने कड़ी मेहनत और दृढ़-
निश्चय से ये मुकाम हासिल किया। वो बचपन
से देश की सेवा करना चाहती थीं और
इसी ख्वाब को साथ रखकर उन्होंने झंडे गाड़े।

रुकमणी बताती हैं कि अगर आप में कुछ कर
दिखाने का जज्बा है तो आपको किसी भी तरह
की कोचिंग की जरूरत नहीं होती।

रुकमणी बताती हैं कि वो अध्ययनशील
व्यक्तियों में से नहीं है जो दिन रात पढ़ाई में
लगे रहते हैं। वो जितनी भी देर पढ़ती थीं उसमें
सिर्फ पढ़ाई पर ही ध्यान देती थीं। उन्होंने
अपनी कार्यसूची बनाकर रखी थी जिसमें
अगर 6 घंटे में पढ़ाई पूरा नहीं होती तो वो कुछ
घंटे और पढ़ाई करके काम पूरा कर
दिया करती थीं। वो बताती हैं कि उन्होंने अपने
कई दोस्तों को 10 से 12 घंटे पढ़ाई करते
देखा है जिसमें उनके दोस्त ब्रेक लेने के बाद ये
भूल जाते थे कि उन्होंने पिछला क्या पढ़ा है
जिससे रुकमणी ने सबक लिया, खुदपर
ज्यादा बोझ डालने के बजाए और सही तरह से
पढ़ाई करी।

B’Day Special: गूगल ब्वॉय नेबताया सब कुछ याद रखने के पीछेका सीक्रेट

B’Day Special: गूगल ब्वॉय ने
बताया सब कुछ याद रखने के पीछे
का सीक्रेट


Koutilya pandit
सबको बताया देशों के नाम याद रखने के पीछे
का सीक्रेट
विद्यार्थियों ने कौटिल्य से यह पूछा कि इतने
देशों के नाम कैसे याद रहते हैं। कौटिल्य ने
कहा कि मैंने तो सबसे पहले सभी देशों के झंडे
देखे। फिर झंडे के साथ उनके नाम याद किए
और फिर मानचित्र पर उन्हें समझा। दादा ने
बताया कि कौटिल्य को फिलहाल उनकी तरफ
से जियोग्राफी के बारे में ज्यादा कुछ
नहीं बताया जाता वे उन्हें अन्य विषयों में
भी एक्सपर्ट बनाना चाहते हैं। सेंटर संचालक
विमल किशोर झा ने बताया कि कौटिल्य ने
सुपर 20 सेट 2014
परीक्षा की घोषणा भी की।